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हम सभी जानते हैं कि जल हमारे जीवन में सर्वार्धिक महत्वपूर्ण हैं. हम जानते हैं कि पानी वो भी शुद्ध पीने को न मिले तो कितना मूड खराब हो जाता है. घर से लेकर बाहर दफ्तर मार्केट हर जगह मिनरल वॉटर पीना पसंद करते हैं. दावत व किसी भी कार्यक्रम में शुद्ध पानी पीने की व्यवस्था की जाती है यदि गल्ती से कहीँ न मिले तो फिर देखिये लोगों का बुरा हाल होता है ? देखा जाय तो हम प्रति दिन सैकड़ो रूपए पानी पीने में खर्च करते हैं. किंतु…परन्तु हम सभी पानी के प्रति अपनी लापरवाही को रोक नहीं पाते हैं . शायद अपनी आदतानुसार या कहीँ कमी है इसके प्रति हमारी जागरुकता की. अर्थात..कारण कोई भी हों जल की नित्य बर्बादी हो रही है. जो अब बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिये. अतः इस ओर हम सभी को गम्भीरतापूर्वक सोचना होगा. और जल की बर्बादी रोकने के साथ साथ जल का उचित संरक्षण भी सीखना होगा.
इस विषय में – नेट से प्राप्त कुछ अंश प्रस्तुत कर रही हूँ..
“रियो डि जेनेरियो में 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) विश्व जल दिवस की पहल में की गई। 22 मार्च याने विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। आँकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नही मिल रहा है। प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान रखना हमारी ज़िम्मेदारी है, चक्र के थमने का अर्थ है, हमारे जीवन का थम जाना। प्रकृति के ख़ज़ाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते अतः प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गँवाएँ यह प्रण लेना आज के दिन बहुत आवश्यक है।”
दो शब्द….
के बिना
दुनिया में जीवन
अकल्पनीय
* * *
पाँच हैं तत्व
सजीव जीवन में
जल प्रमुख
* * *
जल बचाना
संरक्षण सीखना
भविष्य निधि.
* * *
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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