Menu
blogid : 4431 postid : 1234175

उसकी आँखें चमक उठी…

KALAM KA KAMAL
KALAM KA KAMAL
  • 161 Posts
  • 978 Comments

“गरमागरम गाठिया “


कुछ महीने पूर्व हमदोनों पतिपत्नी ‘गुजरात दर्शन’ पर गये थे . सर्वप्रथम अहमदाबाद फिर द्वारिका फिर सोमनाथ दर्शन किया . इसके बाद हमलोग जामनगर पहुंचे ,दोपहर हो गयी थी , इसलिये होटल में ही लंच लिया और थोड़ा आराम किया .
पता था ..यहाँ का “म्युजिकल फाउण्टेन” शो काफी प्रसिद्ध है जो शाम को शुरु होता है. अत:उसे जाकर हमदोनों ने देखा . वाकई शो में जामनगर का इतिहास दिखाया गया, इसके साथ साथ पता चला ‘रणजीत ट्राफी” यही के राजा के नाम से प्रसिद्ध है .क्रिकेट खिलाड़ी ‘ जडेजा’ भी यहीं से हैं इत्यादि . बहुत सुंदर और जानकारी भरा यह शो सचमुच बहुत अच्छा लगा .

अगले दिन हमलोग मार्केट घूमने गये यहां की बंधेज प्रिंट और कढ़ाई का काम दुनियाभर में जाना पहचाना जाता है . अन्य अनेक वस्तुओं से भी बाजार खचाखच भरा था .
यहां के खस्ते ,नमकीन व खाखरे इत्यादि के बारे में भी पता है , बहुत स्वादिष्ट होते हैं , अत: हमलोगों ने ‘कुछ तो यहाँ से खरीद लेंं’ – ऐसा विचार कर उस बड़ी सी दुकान पर रुक गये जहाँ गरमागरम नमकीन क्यंजन बनकर – छानकर तौल किये जा रहे थे ;लोग खरीद रहे रहे थे .
हमलोगों ने भी कई प्रकार के नमकीन व्यंजन लेने के लिये दुकानदार से बोला ही था कि एक भिखारन ( बूढ़ी औरत) हम लोगों से अपने अंदाज कुछ कहने लगी ; हमें उसकी भाषा समझ में तो आयी नहीं -बस इतना समझा कि -इसे कुछ पैसे दे दिया जाय – हमने उसको 10 रुपये का नोट दिया ; तो उसने लेने से मना कर दिया .
फिर उसने जो इशारा किया उससे लगा इसको कुछ खाने की वस्तु दे दी जाय तभी एक बड़ा सा बिस्किट्स का पैकेट खरीद कर उसको देना चाहा ; उसने वो भी मना कर दिया दुकान की कई चीजें संकेत कर पूछी उसने न में सिर हिलाया तो कभी हाथ से मना किया अब हमें बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह कैसी भिखारन है ! यह मांग रही है या आदेश कर रही है या फरमाइश कर रही है …या कुछ समझ पाते कि ….. “गरमागरम गाठिया” का घान आ गया …उसकी खुशी से उसकी आँखें चमक उठी ( उसके मुँह से एक अलग प्रकार की खुशी भरी आवाज) निकली .और उसने फिर हाथ से भी संकेत किया ….अबतक सब स्पष्ट हो गया था कि उसे गरमागरम गाठिया खानी थी .

हम लोगों ने एक पैकेट तौल करा कर उसके हाथ में पकड़ाया तो वह इतनी खुश हुई कि .पूछो मत …..और फिर उसने हमलोगों को जिन निगाहों से देखा …उसका वर्णन नहीं कर सकती .

हमें भी बहुत खुशी हुई आखिरकार उस “बूढ़ी औरत” को वह वस्तु दी, जो वो खाना चाह रही थी . .

“सच में दूसरों को खुशी देकर अपनी खुशी दुगनी प्रतीत होती है”

मीनाक्षी श्रीवास्तव

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh