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राज भाषा हिन्दी दिवस पर सभी को बधाई !
जागरण ने हिन्दी भाषा के विकास पर बेहद प्रशंसनीय क़दम बढ़ाया है . और इसमें
बनी निरन्तरता से हिन्दी भाषा का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दें रहा है .
अन्य द्र्ष्टिकोण से – “हिन्दी दिवस” को हम परम्परा समझने लगे हैं , अतः
इसको राज भाषा हिन्दी पर्व ” कहें तो शायद गलत नहीं होगा .क्युँकि अब तक
हिन्दी भाषा को भारत अर्थात हिन्दुस्तान की “राष्ट्र भाषा का
सम्मान” नहीं मिल पाया है . जो अत्यन्त सोचनीय है .
जैसे किसी भी पर्व के आगमन से कुछ दिन पहले बाज़ार सज जाते हैं रौनक सी छा
जाती है ; ठीक वैसे ही “हिन्दी दिवस” में पखवारा का आयोजन होता है . चारों ओर
इतना हिन्दी के प्रति उत्साह और लगाव
दिखाई देता है ; जितना पूरे वर्ष नहीं . इससे प्रतीत होता है कि – यह सब
मात्र परम्परा है . और लगे भी क्यों नहीँ जिस हिन्दी भाषा का पूरे
हिन्दुस्तान में “राज ” होना चाहिये , सर्वश्रेष्ठ स्थान होना चाहिये वैसा
नहीँ है .
क्या कारण है ? मैं अपने विचार से कह कहती हूँ कि – जब तक हिन्दी को
“सर्वश्रेष्ठ भाषा ” अर्थात “राष्ट्र भाषा” की घोषणा नहीँ – तब तक कुछ खास
प्रभाव नहीँ पड़ेगा . एक कानून बने ” हर भारत वासियों को
हिंदी आनी चाहिये .” हिन्दी में हर कार्य हो . जो भी विदेशी नागरिक यहाँ
आये उसे भी हिन्दी का ज्ञान होना चाहिये . जब हम भारतवासी स्वयं इसको श्रेष्ठ
बनायेंगे तभी हिन्दी पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त कर सकेगी .
यद्यपि विश्व में हिन्दी भाषा का आंकड़ा बहुत बढ़ गया है और बढ़ता ही जा रहा है
दिन – प्रति -दिन ….
आंकड़े बताते हैं कि – हिन्दी भाषा दिन पर दिन प्रगति करतीं जा रहीं हैं . इसके
कई कारण हैं : अपना देश हमेशा से विश्व में आकर्षण का केन्द्र रहा है .अपना
भारत सोने की चिड़िया जिसकी चमक की चहक पूरे विश्व में फैली .दूसरी बात यहाँ
की प्रतिभाओं से सारा विश्व लोहा मानता है .तीसरी बात यहाँ की अनेक
औषधियां -मसाले साथ ही अनेकानेक कलाए और विभिन्न पर्व -परम्पराए जो
अपने आप में सभी को आकर्षित करतीं रहती हैं .
कितने विदेशी अपने देश भारत में आकर यहाँ की रीतिरिवाज से विवाह करते हैं
.अकसर समाचार में हम सभी देखते – पढ़ते हैं .
पहली बात – अनेक देशों से लोग इसकी चमक से यहाँ आये और व्यापार शुरू किया
तो हिंदी की व्यापकता फैली .
दूसरी यहाँ अनेकों पढ़े लिखे मेहनतकश व बुद्धिमान प्रतिभाओं का
अन्तराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न विशेष कार्य पर कार्यरत होना स्वभाविक हैं कि
हिंदुस्तानी हैं तो हिन्दी तो बोलेंगे ..आपस में सही ..इस धीरे धीरे हिन्दी
भाषा कई देशों तक जा पहुँची .
देखा जाय तो जो लोग अन्तर्जाल” इंटेरनेट ” की दुनिया से जुड़े उन्होने ”
हिन्दी भाषा ” को शीर्षतम स्तर तक पहुँचाया . इतना ही नहीं इसकी अनेकों
क्षेत्रीय और उप भाषाओं को जैसे – तमिल , कन्नड़ , बँगला ,पंजाबी ,भोजपुरी
,उर्द इत्यादि का भी विकास हुआ हैं .
हिंदी भाषा की प्रगति तो हम देख रहें हैं लगातार . इतनी ब्लौगिंग इतना लेखन
..मानो चारों ओर हिन्दी का बोलबाला है .
पर यदि नहीं दिख रहा तो वह इस भाषा के प्रति सम्मान ! एक गर्व !
हम हिंदी बोलते हैं पर वो श्रेष्ठता का अहसास नहीं कर पाते . क्यों ..? क्या
इस लिये की अंग्रेजीयत से इसकी चमक फीकी नज़र आती है ? जबकि अपनी हिंदी
वर्णमाला और व्याकरण दोनों में अँग्रेजी से अधिक सम्पन्न है .
अथवा “हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा ” जैसा सम्मान देने का कानून नहीं लागू
हुआ ?
इन सभी प्रश्नों का जवाब शायद हम सभी के पास हैं …
अन्त में हम सब भारतीय इस वर्ष से ” हिन्दी दिवस ” को पूर्ण रूप से
सार्थकता देने का द्रढ़ निश्चय करें !
हिन्दी का सम्मान करें !
और सदा गर्व से हिन्दी बोले !
—
अत्यंत सरल शब्दों में हिन्दी के प्रति दो पंक्तियां कुछ इस प्रकार ….
हिन्दी से प्रेम कर लो
ऐ हिंदुस्तान वालों –
है “राज भाषा हिन्दी”,
ज़रा गर्व से तो बोलो .
हिन्दी- हिंदी- हिंदी –
बस हिंदी ही बोलो .
**
सबका ‘मान’ करो
नित अपनी हिन्दी पूजो
यूँ दूसरों के कारण ,
न अपनी हिन्दी को भूलो.
हिन्दी- हिंदी- हिंदी –
बस हिंदी ही बोलो .
**
हिंदी में लिखो
हिन्दी में गाओ –
पढ़ो – पढ़ाओ हिन्दी ,
बस जग में कीर्ति फैला दो .
हिन्दी- हिंदी- हिंदी –
बस हिंदी ही बोलो .
**
धन्यवाद !
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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