“ आँख खुलना “
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बंटी के मार्क्स इस वर्ष बहुत कम आ रहे थे अब वह क्लास तीसरी कक्षा में आ गया था . पिछले साल तक उसके दादा जी उसे पढाते थे .पर इस साल वो अपने दूसरे बेटे के पास अमेरिका चले गये हैं,लम्बे समय के लिये .अब उसकी मम्मी अदिति उसको पढ़ाती है, वह खुद भी एम.एस.सी. है; यानी काफी पढ़ी -लिखी है.
क्या कारण है कि आज पैरेंन्ट्स – टीचर मीटिंग्स में उसको बहुत कुछ सुनना पड़ा .?
बंटी के कम मार्क्स के कारण हर टीचर ने शिकायत की थी.
सबने कहा इतना तेज -होशियार बंटी …इस वर्ष इतने कम मार्क्स क्यों ला रहा है ?
क्लास टीचर ने सबके सामने उससे पूछा कि -पहले तुमको कौन पढ़ाता था ?
बंटी ने कहा – मेरे दादा जी .
अब कौन पढ़ाता है ?
बंटी ने कहा – मेरी मम्मी .
टीचर ने पूछा – मम्मी से पढ़ने में क्या प्रोब्लेम है ? समझ में नहीं आता ? बोलो क्या बात है..?
बंटी ने डरते …डरते जो जवाब दिया ….उसे सुनकर टीचर हैरान हो गयी और अदिति शर्म से…….
बंटी ने बताया – मेरी मम्मी टी.वी. सीरियल ज्यादा देखती हैं पढ़ाती कम है….
सच्चाई यही थी अदिति को टी.वी. सीरियल्स की बुरी लत लग गयी थी .
वह दिन भर टी.वी. खुला रखती थी .उसका सारा काम टी.वी. की के संग समझिये कि होता था.बंटी के डैडी (समीर) ने कई बार टोका तो पलट कर बोलती क्या करूं डिश के पैसे देते हैं और प्रोग्राम भी ना देखें ..? तुम तो आये दिन टूर पे रहते हो ,मैं बोर हो जाती हूँ.
समीर चुप हो जाता – उसकी नौकरी ही ऐसी है ….वह क्या करे ?
आज स्कूल में सबके सामने हुई अपनी इंसल्ट से अदिति को अपनी भूल का अहसास हुआ .
उसने तय किया कि अब भविष्य में वह बंटी को पढ़ाते समय कभी भी टेलिविजन नहीं देखेगी . बंटी उसका अपना बेटा है ..उसके उज्ज्वल भविष्य के प्रति उसे बहुत ध्यान रखना है .
तो इस प्रकार अदिति की आंख समय रहते खुल गयी. उसके अथक प्रयास और मेहनत
से जल्द ही बंटी अपनी क्लास में तेज बच्चों की श्रंखला में गिना जाने लगा .
आज ऐसी ना जाने कितनी महिलाओं को टी.वी. सीरियल्स की लत लगी हैं जिससे वो अन्य महत्व्पूर्ण पहलुओं को …रिश्तों को नज़रंदाज कर देती हैं; जो उचित नहीं है .
विशेष रूप से महिलाओं को चाहिये -” वे एक अच्छी मां बने ना कि एक लापरवाह मां की पहचान बनायें ” ।
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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