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चित्र एक और भावनाओं के रंग अनेक !

KALAM KA KAMAL
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चित्र  एक …और भावनाओं के रंग अनेक  !

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(1) प्रथम भाव

मन में लिये प्रश्न अनेक ,

बैठ गई  वो  लेके  टेक ,

जूते – मोजे स्कूली – ड्रेस ,

नहीं बदले थे, आज भी एक.

मन ही मन कुछ सोच रही थी

चांद – तारों को देख रही थी ,

जैसे – कुछ   पूछ  रही  थी .

मानो  किसी को खोज रही थी .

***************************

.

(2)-   अन्य भाव

प्राय: देखा जाता है कि बेटा माँ का दुलारा….और  बेटियां हमेशा पिता की लाड़ली होती हैं. दोनों (बेटा – बेटी ) के छोटे – मोटे झगड़ों में अकसर देखा जाता है कि मां बोलती है – यदि बेटा छोटा हुआ तो बोलेंगी अरे…तुमसे छोटा है भाई …यदि बड़ा हुआ तो भाई तुमसे  बड़ा है….कहने का तात्पर्य …समझ लीजिये . और बेटियाँ भी पापा चाहे आफिस से देर रात लौटें पर उनसे दिन भर की बातें / शिकायतें  किये बगैर सो नहीं सकती .. कुछ इसी प्रकार से…

र्रूठ के बैठी थी जा छत पे –

झगड़ा भैया  से  हुआ  था

भैया ने फिर खींचे थे बाल –

मम्मी ने भी उसी को टोका था .

भैया है मम्मी का  दुलारा   ,

पर वो तो है, पापा की बेटी  ,

सारी शिकायत पापा से करेगी  ,

बात नहीं वो किसी से करेगी .

इसी लिये  बैठी थी  अकेली ,

राह  पापा की देख रही थी  ,

शाम  से  रात  हो  रही थी .

मानो कहीं वो खो गयी थी .

चांद – सितारे  निकल पड़े थे  .

देख के उसको  मुस्करा रहे थे

चमक – चमक के मना रहे  थे

जरा सा हँस दो ऐ प्यारी गुड़िया !

\-   \-   \-  \-  \-   \-  \-  \- \

(नोट : यह प्यारा चित्र नेट से उपलब्ध हुआ है .)

मीनाक्षी श्रीवास्तव


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