KALAM KA KAMAL
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नैन तीर चलाई बड़े ढीठ कन्हाई * मग रोक कन्हाई , करूँ लाख दुहाई . * नहिं छोड़ कलाई बड़ि जोर लगाई * तेहिं मटकी गिराई सारी चुनरी भिगोई * सखि सारी हँसति मोहे लाज़ अवति * पग सकुचि धरति बस कछु न चलति * नंद – सास डरति मोहे गारि देवति *सब पिय से कहति हिय भय से भरति * मति कुछ न चलति सुत ! माँ जसुमति * हे बाँके बिहारी ! मैं अबला बेचारी * तुम नर मैं नारी सुन बिनती हमारी * रख लाज़ हमारी हे कृष्ण मुरारी !
नोट : चित्र के लिये नेट का साभार !
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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