Menu
blogid : 4431 postid : 715666

“कॉंटेस्ट” फागुनी बहार प्रतियोगिता:आपके शहर की कहानी आपकी ही ज़ुबानी

KALAM KA KAMAL
KALAM KA KAMAL
  • 161 Posts
  • 978 Comments

(i) फागुन से जुड़ी चर्चित लोक कथाएं/ लोकगीत

लखनऊ की होली का रंग सबसे रंगीला !

canstock17775008

chota-imambara


अपने शब्दों में होली के वर्णन से पहले – अपने शहर का मैं कुछ संक्षिप्त महत्वपूर्ण वर्णन करना चाहूंगी . जी हाँ , मैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शहर की बात कर रही हूँ जो अपनी कई विशेषताओं के लिये विश्व प्रसिद्ध है . यहाँ की बात-चीत अर्थात बोलने का ढंग तहज़ीब सब जगह से अच्छी है . यहाँ के चिकन का कपड़ा उसकी कढ़ाई दुनिया भर में जानी मानी जाती है . फलों का राजा आम जो यहाँ का मलिहाबादी है विश्व में सर्वश्रेष्ठ किस्म में आता है . यहाँ की ऐतिहासिक इमारतें – इमामबाड़ा – भूलभुलैया जो मशहूर हैं . यहाँ के शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के व्यंजन अपने लज़ीज स्वाद के लिये प्रसिद्ध हैं . प्रसिद्ध भारतीय संगीत में यहाँ का लखनऊ घराना बड़ा नामी है . यहाँ का भातखंडे संगीत संस्थान इतना सम्पन्न है ; कि अनेक देशी – विदेशी लोग यहाँ आ कर संगीत की अनेक विधायें सीखते हैं और पारंगत होते हैं फिर उसे आगे यहाँ या अपने -2 मुल्क़ में फैलाते हैं . अर्थात संक्षेप में कहने का तात्पर्य यह कि- अपना शहर लखनऊ खान-पान , रहन-सहन , बोल-चाल , रीति-रिवाज़ , वस्त्र-आभूषण , शिक्षा-संगीत इत्यादि अनेक विशेषताओं से सुसम्पन्न है .

“होली में बहुत खास है – अपना शहर लखनऊ “

e839474c-986e-4158-a30d-7deb37db1fb6HiRes

हर्षोल्लास का यह “होली का पर्व” बड़े निराले ढंग से मनाया जाता है .शहर में लगभग हर बड़े चौराहे पर पूर्णिमा की रात में होलिका दहन का बहुत अच्छे ढंग से सजावट कर आयोजन करते हैं. ढोल-नगाड़े (बाजों) के साथ होरी और फाग की धूम मची दिखायी देती है .

अगले दिन धुलेंडी / धूलिवंदन/ अथवा धुलेटी (इत्यादि नामों से जाना जाता है ) में अबीर – गुलाल मुख्य तौर पर गीले रंग की सुबह लगभग 8 – 12 बजे तक कहने का मतलब कि  दोपहर तक और बस इसी एक दिन ही रंगो की बरसात की इज़ाज़त होती है . अन्य शहरों की तरह नहीं कि एक-दो-तीन दिन या कई सप्ताह तक होली ही खेली जाय ..गंदगी फैलायी जाय…नहीं , ऐसा हमारे शहर लखनऊ में नहीं होता है .इससे शहर भी साफ-सुथरा बना रहता है और पानी की भी बर्बादी नहीं होती – (जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण) है . अत: यहाँ बहुत सुंदर ढंग से .. रंगीली होली खेली जाती है. यहाँ का रंग – ढंग सब रंगीला होता है . क्योंकि यहाँ अन्य अनेक रंग से होली की फुहारें उड़ती रहती है. वैसे मधुमास के बसंत से लेकर फागुन भर नवरात्रि के पूर्व तक कई -2 स्थानों में फागुन – ‘होली पर्व’ के अनेक रंगारंग जैसे उत्सव आयोजित किये जाते हैं .बच्चों से लेकर स्त्री – पुरुष सभी आनंद मग्न  रहते हैं . इसके साथ ही “काव्य मंच” सजता है . उसमें हास्य- व्यंग का रंग बरसाया जाता है . कहीं मेला तो कही अन्य संगीत और नृत्य के मनोरंजक व हर्षौल्लास भरे कार्यक्रम चलते ही रहते है. विशेषतायें तो अपने शहर की इतनी है कि…लिखते ..लिखते…..

तो इस प्रकार अपने शहर लखनऊ की होली का रंग सबसे अधिक रंगीला है !

अत: यहाँ संक्षिप्त रूप से मुख्य – मुख्य बातों का वर्णन मुझे करना उचित लगा ।

अपने यहाँ ब्रज की और श्री राधा-कृष्ण- संग गोपियों की होली बड़ी प्रसिद्ध है .वह इतनी प्यारी और मनमोहक लगती है कि बार – बार हम सभी को इसका ज़िक्र करना …और गीत गाना अच्छा लगता है .ऐसे ही भाव को दर्शाता एक “लोक गीत” मैं आगे लिखने जा रही हूँ ..उम्मींद करती हूँ कि आप सभी को आनंद की अनुभूति दिलायेगा ये – लोकगीत “होली गीत” ।

images (35)

images (36)

***********************************************************************************

“होली गीत”   (लोकगीत)

होरी खेलत नंद लाल बिरज में ,
बहु विधि करत धमाल बिरज में …

ग्वाल – बल संग धूम माचावैं
अबिर – गुलाल धुलेंडी उड़ावैं
कान्हा ,…ओ कान्हा ………….
गली – गली रंग – रंग डारैं , बिरजमें …

होरी खेलत नंद लाल बिरज में ,
बहु विधि करत धमाल बिरज में …

सब गोपियन को खूब नचावैं
चूनरी – ओढ़नी सब रंग डारैं
कान्हा , ..ओ कान्हा ………….
पिचकारी, ऐसी चलावैं , बिरज में…..

होरी खेलत नंद लाल बिरज में ,
बहु विधि करत धमाल बिरज में …

कान्हा के मन, राधा ही भावैं
हर पल राधा का संग चाहैं
कान्हा , ..ओ कान्हा ………….
दिन रैन बंशी बजावैं , बिरज में …..

होरी खेलत नंद लाल बिरज में ,
बहु विधि करत धमाल बिरज में …

होरी खेलत नंद लाल बिरज में ,
सब रंग करत धमाल बिरज में…

होरी खेलत नंद लाल बिरज में ,
होरी खेलत, … होरी खेलत,

होरी खेलत नंद लाल बिरज में ।


समस्त जागरण जंक्शन परिवार को एवम सभी सदस्यों को “होली पर्व ” की हार्दिक शुभकामनायें !

नोट : सुंदर चित्रों के लिये नेट  का साभार  ।

मीनाक्षी श्रीवास्तव

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh