KALAM KA KAMAL
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*मात शारदे , मात शारदे , मात – शारदे माँ !
*नमन करूँ, तेरे चरण पड़ूँ, तेरी शरण में हूँ मैं, माँ !
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तुझे पूज, जग ‘मानव प्राणी’, कहलाते ऋषी – ज्ञानी ,
विश्व रचयिता त्रुपरारी भी, तुमको ध्यावें , माँ !
*मात शारदे , मात शारदे , मात – शारदे माँ !
*नमन करूँ, तेरे चरण पड़ूँ, तेरी शरण में हूँ मैं, माँ !
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तेरी झँकृत – वीणा से सुरलोक बना सुरमयी ,
चारों दिगपाल मिल गायें तेरा सरगम गीत, माँ !
*मात शारदे , मात शारदे , मात – शारदे माँ !
*नमन करूँ, तेरे चरण पड़ूँ, तेरी शरण में हूँ मैं, माँ !
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मेरे अंतस में बहा दे सद्ज्ञान की अमृत – धारा ,
सुर-संगीत, मधुर- झंकार सजे जीवन की लय में, माँ !
*मात शारदे , मात शारदे , मात – शारदे माँ !
*नमन करूँ, तेरे चरण पड़ूँ, तेरी शरण में हूँ मैं, माँ !
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मीनाक्षी श्रीवास्तव
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