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“करवाचौथ सुख- सौभाग्य का प्रतीक पर्व ”

KALAM KA KAMAL
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सर्वप्रथम सभी बहनों को बहू और बेटियों को ,भाईयों और मित्रों को “करवाचौथ“ की हार्दिक बधाई ! (वर्तमान समय में यह जितना स्त्रियों के लिये सौभाग्य सूचक माना जाता है,उतना ही पुरुषों के लिये भी –इसीलिये दोनों को बधाई देना उचितहै)

चाँद की महिमा बड़ी न्यारी है। भगवान शिव जी ने अपने मस्तक में सजाया है .तो बाल कृष्ण का अपनी माँ यशोदा से – ‘ मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहौं ‘ ही माँग बैठते हैं । अत: इस प्रकार देखा जाय तो देवी , देवताओं ऋषि-मुनियों से लेकर हम सभी को चांद के सभी रूप बड़े प्यारे लगते हैं, उसको देखकर एक आनंद प्राप्त होता है .

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में “ चाँद की महिमा बड़ी विख्यात है . उसकी हर कला का दर्शंन अति सुंदर होता है . तभी तो अर्ध चंद्र, द्वीज का चाँद , ईद का चाँद , चौथ का चाँद , चौदवीं का चाँद और पूर्णिमा का चाँद इत्यादि-2 ।

धार्मिक दृष्टिकोंण से अनेक प्रकार के पूजन एवम कथा वगैरह से चाँद को जोड़ा गया तो कहीं कवियों-शायरों – गीतकारों के अगणित रचनाओं का चाँद स्रोत बना और निश्चित रूप से आगे भी बना रहेगा । फलस्वरूप “चाँद- सुख- सौभाग्य का एवम पर्व- और हर्षो-उलास  का प्रतीक माना जाता है ।“

अब तो विवाह से पहले शादी तय होते ही कहीं 2 लड़कियां इस व्रत को करने लगी हैं . यही नहीं अब नवयुवकों में भी “ करवा चौथ “ के प्रति काफी जोश दिखायी देता है कुछ लोग अपनी पत्नी के संग-2 इस व्रत को पूरी तरह से करते हैं .

वैसे मैंने इस पर्व पर ,कुछ शब्द संक्षिप्त रूप में वर्णन करना चाहा है :-

‘करवाचौथ’

——————-

पूजा चाँद की
बदली में छिपा है
करवाचौथ

**

मैं चाँद तेरा
निर्जल व्रत नहीं
पति आज्ञा है

ढूंढती किसे
तेरा चाँद सामने
व्रत खोल दो

**

मैं तेरा चाँद
तू है मेरी चाँदनी
यही व्रत है

सज – संवर
किये चंद्रदर्शन
साजन संग !


पुन: सभी को फिर एक बार …सुख-सौभाग्यवर्द्धन की मंगलकामनायें देते हुए …

मीनाक्षी श्रीवास्तव

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