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अजनबी परदेसिया से…..

KALAM KA KAMAL
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“अधरों  पे….”

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जाने किस देस से,  आती वो शर्मीली

सिर पे  गागर ,       तन पे घाघर

पैरों पे पायल , दिल करे घायल

माथे पे बिंदिया , हाथों पे चुड़ियां

तिरछी नज़रिया, बलखाती कमरिया

नयी उमरिया , नीकी  सी गुजरिया

पनघट पे जाती , मंद -मंद मुस्काती

अपनी ही धुन में , कुछ गुनगुनाती ।

उड़ती चुनरिया , अधरों पे दबाती ।

अजनबी परदेसिया से , मुखड़ा छुपाती |

मीनाक्षी श्रीवास्तव

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