“Contest “ हिन्दुस्तान की हिंदी की प्रसिद्धि में चार-चाँद लग जायेंगे !
KALAM KA KAMAL
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“Contest “
5. हिंदी ब्लॉगिंग ‘हिंग्लिश’ स्वरूप को अपना रही है। क्या यह हिंदी के वास्तविक रंग-ढंग को बिगाड़ेगा या इससे हिंदी को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी?
मेरे विचार से –
“हाँ, यदि कुछ आवश्यक सुधार हिंग्लिश में किये जायं तो हिंदी ब्लॉगिंग में हिंग्लिश के द्वारा निश्चितरूप से हिंदी को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी ।“
सर्वप्रथम आगे बढ़ने से पहले कुछ ‘ हिंदी भाषा “ से सम्बंधित बातों का वर्णन करना चाहूंगी –
जैसा कि हर देश की अपनी एक सुनिश्चित भाषा होती है – जैसे जापान देश के लोग -जापानी भाषा बोलते हैं , चीन देश के लोग चीनी भाषा , फ्रांस के लोग फ्रेंच और जर्मनी के लोग जर्मन भाषा इसी प्रकार अपने हिन्दुस्तान की भाषा -हिन्दी है –जो सभी के लिए अनिवार्य होनी चाहिए । सभी को हिन्दी का ज्ञान – पढ़ना -लिखना और बोलना आना ही चाहिए । “
“जब तक ‘हिन्दी’कीअनिवार्यता हर एक हिन्दुस्तानी और हिन्दुस्तान में आकर बसने वालों के लिए लागू नहीं होगी; तब तक “हिन्दी ” कोपूर्णरूप सेसफलता नहीं मिल सकेगी –न यूं ही न ब्लॉगिंग में “
दूसरी बात – हिन्दी के अलावा कोई भी कितनी भाषा का ज्ञान रखता है यह उसके अपने –मौलिक अधिकार के अंतर्गत आयेगा। इसमें किसी भी प्रकार का कोईविरोध नहीं होना चाहिए ।
किंतु हिंदुस्तानी होकर हिंदी भाषी ना हो , उसको हिंदी ना आये ये अशोभनीय बात लगती है । अपनी मातृ भाषा अपनी राष्ट्र्भाषा का अपमान करना है – जो सर्वथा अनुचित है ।
वैसे देखा जाय तो किसी भी कार्य को सही ढंग से करने के लिये – जब तक ठोस नियम नहीं बनते तभी तक उसमें कमी दिखायी देती है ; जैसे ही उसको नियम्बद्ध कर दिया जाता है वह सुचारू रूप से होने लगता है ।
अत: हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता होती है ।और जैसे ही अपने देश में (ऊपर) प्रशासन से “हिंदी भाषा “ के प्रति एक नियम एक अनुशासन अथवा अनिवार्यता लागू हो जायेगी वैसे ही हिंदी की उन्नति व प्रसिद्धि में – चार – चाँद लग जायेंगे !
यहाँ हमें उपरोक्त (“Contest “) विषय – पर व्याख्या करनी है – और उसके सकारत्मक और नकारत्मक पक्ष को उजागर करना है ; तभी मैं स्पष्ट कर सकूंगी कि – “ हिंगलिश “ हिंदी ब्लॉगिंग के वास्तविक रंग-ढंग को बिगाड़ देगी या संवार देगी ?
यह सत्य है कि – “हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में हिंग्लिश से हिंदी का बहुत तेजी से विस्तार हो रहा है और भविष्य में भी होता रहेगा । परंतु इसमें हिंदी के वास्तविक रंग – ढंग में अशुद्धियों की भरमार / अधिकता नज़र आती है । तो इस प्रकार नि:संदेह हिंदी का स्वरूप बिगड़ सकता है – और कहीं ना कहीं बिगड़ना शुरू भी हो गया है – जैसे जब हम हिंग्लिश के माध्यम से हिंदी लिखते हैं तो (विकल्प में ) आये शब्दों में से ‘शब्दों’ को चुनते हैं; और उसमें कभी-कभी किसी शब्द का देर से विकल्प मिलता है या फिर चुनाव करते -2 गलत लिख जाता है ।
कभी जल्दबाजी में तो कभी शब्दों के अल्प ज्ञान के कारण हिंदी के वास्तविक स्वरूप में भारी अशुद्धियां होती रहती है –जो किसी भी प्रकार से हिंदी ब्लॉगिंग के लिये ठीक नहीं; कयोंकि इससे हमारी हिंदी भाषा का अशुद्ध रूप उभर कर आयेगा जिसका प्रभाव बुरा अथवा नकारात्मक भी हो सकता है .”
आइये देखें कुछ शब्दों की अशुद्धियां –
अ – कि के स्थान पर की ।
ब – स, श और ष में बहुत गलतियां दिखती हैं ।
स – है और हैं में इसके अलावा कृपा – क्रिपा ।
द – ज्ञान – ग्यान इत्यादि ।
.. .. .. .. .. .. .. अत: किसी सीमा तक ठीक है कि – हिंदी ब्लॉगिंग हिंगलिश स्वरूप को अपना कर अपना विस्तार कर रही है । इससे लिखने में गति आती है ; पर यह उनके ही लिये ही उचित है जिनको हिंदी का अच्छा ज्ञान है -बाकी उन लोगों के लिये खतरनाक़ साबित हो सकता है ; जिन्हें हिंदी का अल्प ग्यान है अथवा नवागंतुक हैं ।
“शुद्ध शब्दों की विशेष संलग्नता का समावेश होना चाहिये “ ___________________________________
वर्तमान में ‘हिंदी ब्लॉगिंग’ के द्वारा हिंदी को ना केवल अपने भारत देश अपितु विश्व-स्तर पर विस्तृत एवम विख्यात करने के लिये हिंदी ब्लॉगिंग में “ हिंग्लिश” की उपयोगिता बहुत महत्वपूर्ण है; किंतु इस विकल्प में शब्दों की त्रुटि सुधार की संलग्नता अति अनिवार्य है । जिससे किसी भी व्यक्ति द्वारा लिखे कोई भी गलत शब्द स्वत: शुद्ध / सही लिख जाये और उसको सही / शुद्ध शब्द – का संकेत भी देता रहे “ ।
इस प्रकार मेरे विचार से यदि – यह सभी – महत्वपूर्ण (सहायता)‘हिंग्लिश’(विकल्प) के साथ जुड़ी रहती है ; तो फिर हिंदी के स्वरूप को नहीं बिगाड़ सकेगी ।
और ….हिंदुतान की हिंदी अपनी विश्व स्तरीय प्रसिद्धि की ऊंचाइयों में पहुंच
कर – अपनी पताका फहराती रहेगी …! सबको लाभ देती रहेगी !
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