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मेरे देश के नवसृजनहारों .. अब नहीं जागे तो फिर कब जागोगे ..?

KALAM KA KAMAL
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” देश के नव-सृजनहारों “

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ईमानदारों की दुनिया में –
सज गयी ‘ भ्रष्टों’ की बस्तियां ।

मिड डे -मील हो या क्रीड़ा -‘खेल’
सबमें इनका दिखता ‘मेल’
जल-थल-अन्न या कोल-रेत -खनन
सबमें चलती इनकी मनमानिया ।

ईमानदारों की  दुनिया में –
सज गयी ‘ भ्रष्टों’ की बस्तियां ।

शिक्षा की डिग्री में, मंडी व बिक्री में –
धन-सत्ता के जादू में- नहीं रहते वे काबू में
रोजी-रोटी या फिर लोगों को न्याय दिलाने में
‘भष्टाचार’ की दिखती कारस्तानियाँ ।

ईमानदारों  की दुनिया में –
सज गयी ‘ भ्रष्टों’ की बस्तियां ।

‘भष्टाचार’ के घोर तिमिर में –
जगमग सूरज की किरणें ,ले
उठो देश के नव – सृजनहारों –
उज्जवल कर दो ‘सत्य’ की दुनिया ।

ईमानदारों की दुनिया में –
सज गयी ‘ भ्रष्टों’ की बस्तियां ।

मीनाक्षी श्रीवास्तव

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