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अर्थात चाहे बीते समय की बात हो या वर्तमान अनेक शिरोमणि उदाहरण मौज़ूद हैं ; इसलिये भविष्य में भी उनसे ऐसी ही आशा की जाती है .
अत: दोनो लोग बिना किसी भेद-भाव के “देश और देश वासियों” को दुश्मनो से आतंकवादियों से-भाष्ताचारियों से सुरक्षा एवं मान – मर्यादा हेतु आगे आयें और अपनी शक्ति को कल्याणकारी एवं सम्मानीय बनाएं -.
बस इसी बात पर एक सुप्रसिद्ध “देशभक्ति” गीत की कुछ पंक्तियाँ मैं लिखना .. चाहूंगी …. शायद पुनः नवचेतना को बल मिल सके …
ऐ मेरे वतन के लोगों !ऐ मेरे वतन के लोगों ! ज़रा आँख में भर लो पानी |
जो शहीद हुए हैं उनकी , ज़रा याद करो कुर्बानी ||
कोई सिख, कोई जाट मराठा, कोई गुरखा, कोई मद्रासी |
सरहद पर मरनेवाला , हर वीर था भारतवासी ||
जो खून गिरा पर्वत पर वो खून था हिन्दुस्तानी |
जो शहीद हुए हैं उनकी , जरा याद करो कुर्बानी ||
क्या लोग थे वो दीवाने , क्या लोग थे वो अभिमानी |
जो शहीद हुए हैं उनकी , ज़रा याद करो कुर्बानी ||
तुम भूल न जाओ उनको , इसलिए सुनो ये कहानी |
जो शहीद हुए हैं उनकी ,ज़रा याद करो कुर्बानी ||
ऐ मेरे वतन के लोगों !
सभी भारत वासियों को स्वतन्त्रता दिवस की बहुत- बहुत बधाई !
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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