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ली तीज“ महोत्सव
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नरी ओढ़ी होती है ; तभी अपने देश के विभिन्न क्षेत्रो में “तीज” पर्व का महोत्सव मनाया जाता है . शायद प्रकृति के संग रंगने को हमारा भी तन-मन उमंगित हो जाता है. और प्रक्रति पर्याय अर्थात “स्त्री” जी हाँ , वह भी लगभग पूरे सावन भर हरे-भरे रंग के वस्त्रों को ही पहनना पसंद करतीं हैं .
ऐसी मान्यता है कि इस पर्व में “मां पार्वती “ की पूजा अर्चना करने से उन सभी कन्याओं को सुंदर घर- वर मिलता है . सभी छोटी – बड़ी लड़कियां , नवयुतियों से लेकर उम्र दराज स्त्रियाँ भी साज – ऋंगार कर अधिकांशत: लाल -हरे रंग के परिधान पहन कर मंदिर जातीं हैं और “मां पार्वती “ की पूजा – अर्चना करती हैं. देवी गीत , तथा अन्य वर्षा , सावन , झूला, व मल्हार गा – गा कर नाच गाना करतीं हैं ।
मुख्य्र रूप से यह पर्व लड़्कियों के आन्नद हर्षोल्लास मनाने का होता है . इस पर्व पर घर के लोग अपनी बेटी – बहुवों को उपहार देतें हैं .
नेपाल में भी तीजोत्सव मनाया जाता है .
अपने यहाँ किन्हीं क्षेत्रों में एक प्रथा ऐसी भी है कि सासअपनी “ नव वधू “ को उसकी पहली तीज में वस्त्र -आभूषण और ऋंगार ( बिंदी मेंहदी और चूड़ियां ) इत्यादि “ भेंट “ देती हैं.
नव वधू पहले सावन में अपने पीहर / मायके जाती है और फिर “रक्षाबंधन का पर्व” मायके में करके वापस ससुराल आती हैं . वे अपने साथ विभिन्न प्रकार की मिठाइयां और स्वादिष्ट – व्यंजन ( खाद्य् पदार्थ ) भी मायके लेकर जातीं हैं .
तो इस प्रकार से वे पीहर में इतने दिन अपनी सखियों और बहनो भाभियों के संग हर प्रकार से आनंद मना कर खुशी – खुशी ससुराल को फिर वापस आती हैं .
तीज पर्व के तीन मुख्य आकर्षण हैं –
१- “गौर पूजन” – माँ पार्वती जी का पूजन करना |
२– ऋंगार – बिंदी – चूड़ियाँ – मेहंदी व रंगीन हरे और सतरंगी वस्त्र पहनना .
३-, आनंद व उल्लास – झूला – झूलना एवं नाच – गाना करना तथा स्वादिष्ट पकवान का
और मिष्ठान्न में मुख्य रूप से ‘ घेवर ‘ का आनंद लेना |
समय की निरंतर बदलती रफ्तार के कारण “तीज” में बहुत परिवर्तन हुए हैं और होते जा रहें हैं । वर्तमान में बड़े 2 शहरों में तीजोत्सव का आकार बहुत बड़ा होता जा रहा है . अब बहुत बड़े मैदान में या फिर किसी होटल के बड़े कमरे “हॉल” मे आयोजन किया जाता है . साथ ही कई प्रकार के महिलाओं के गेम , प्रतियोगिता और अंताक्षरी का आयोजन किया जाता है .इसमें पुरस्कार वितरण किया जाता है .इसमें “ तीज क़्वीन “ का चयन होता है और उसे “ तीज क़्वीन का ताज “ पहनाकर सम्मानित किया जाता है .
इसके लिये या तो आपस में सभी महिलायें मिलकर धन इकट्ठा कर आयोजन करतीं है या फिर नगर के सम्मान जनक व्यक्तियों के द्वारा परम्परा को आगे बढ़ाने के लिये कुछ खास पदाधिकारी जिम्मेदार अथवा सामाजिक – सांस्कृतिक कार्यों में संलग्न – महिला को इन आयोजनों के लिये धन देते हैं और सम्मानित करतें हैं .
हरियाली तीज़” पर्व अपनी अनेक सतरंगी रंग -रूप के कारण बड़ा ही “मनभावन पर्व ” है ।
यालीतीज” की सभी बहनों – सखियों को मेरी हार्दिकबधाई!
श्रीवास्तव
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