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” जीवन है अनमोल “

KALAM KA KAMAL
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ईश्वर की अनोखी कृपा का संकेत……

जीवन में सभी को शायद ऐसे अवसर एक बार या अनेक बार भी… हो सकते हैं मिलते अवश्य है – कुछ न कुछ नेक कार्य करने के लिए . पर सभी को उसका उचित श्रेय मिले यह जरूरी नहीं – पर जिसे मिले , उसको प्रभु को अवश्य धन्यवाद देना चाहिए -क्योंकि यह उनकी विशेष कृपा हुई होती है अन्यथा किसी के वश में कुछ नहीं !

जी हाँ , मुझे भी प्रभु ने अब तक कई अवसर दिए जिनको नेक कार्यों की श्रंखला में रख सकती हूँ . उनमें से एक महत्वपूर्ण घटना का ज़िक्र मैं करने जा रहीं हूँ –

नोट :- सभी नाम काल्पनिक है ; परन्तु घटना अथवा कथा -वस्तु सत्य है .

वर्षों पुरानी बात है हमारे पड़ोस में एक लता का भी परिवार रहता था | उसके परिवार में उसके पति Mr. मोहन और उसका ढाई साल का बेटा प्रियांशु | अपने अच्छे स्वभाव के कारण वह मेरी सहेली बन गयी थी . बात उस समय की है जब वह कठिन आर्थिक संकट से गुज़र ही रही थी की अचानक एक दिन उसके बेटे की हालत बहुत खराब हो गयी- तुरंत उसे एक अच्छे मेडिकल सेंटर ( हॉस्पिटल) में भर्ती कराना पड़ा .
हमलोगों को जैसे ही पता चला – हमलोग उसको देखने हॉस्पिटल गए. सिस्टर प्रियांशु की बोतल की ड्रिप सही कर रही थी . उस समय वह इंजेक्शन और दवा से नींद में था . लता ने जैसे हम-दोनों को देखा तो मुझसे लिपट गयी . मैंने उसे और मेरे हसबैंड ने मोहन को दिलासा दी- कहा परेशान मत हो प्रियांशु जल्द ही ठीक हो जाएगा . प्रभु पर विश्वास करना , वह सब ठीक कर देगा . लता अपनी दबी जुबान से कुछ कहना चाह रही थी ; जो मैंने स्वतः समझ लिया था .

थोड़ी देर बाद हम लोग वापस घर लौट आये . मैंने अपने हसबैंड से कहा – डॉ. और हॉस्पिटल अच्छे होने के कारण प्रियांशु का इलाज बढ़िया होगा परन्तु खर्च भी अच्छा खासा होगा. अतः ऐसी स्थिति में हमें उनकी कुछ मदद अवश्य करनी चाहिए ,जिससे लता को अपने बच्चे के इलाज में कोई परेशानी न हो , और वह जल्दी स्वस्थ हो घर वापस आ जाये . मैंने अपने हसबैंड से डिस्कस किया और फिर एक निर्णय लिया …

यद्यपि उस वक़्त अपनी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. सिर्फ अपने बच्चों की आर.डी. में उस समय कुल दस हजार रुपये मात्र थे . फिर भी मैंने अगले दिन वो पूरा खाता बंद कर सारे पैसे लता को देकर कहा – लता इसे रख लो , शायद बच्चे ( ‘प्रियांशु ‘ ) के इलाज में कुछ मदद हो सके – मना मत करना ..न ही कुछ और कहना बस .
मैंने सिर्फ उस वक़्त यही सोचा की – अपने बच्चों के बैंक में पुनः आर.डी. / डिपाजिट करा देंगें . पर अभी इन रुपयों से यदि लता के बेटे के इलाज में मदद हो गयी तो उसका जीवन बच सकता है; वह स्वस्थ हो सकता है .प्यारा छोटा सा बच्चा ! एक माता -पिता के लिए उसके जीवन में संतान का क्या रिश्ता ..क्या महत्व होता है ; जग विदित है .

वैसे भी ” जीवन बड़ा अनमोल होता है !” जीवन से बढ़कर कुछ भी नहीं ! कहते है जान है तो जहान है !

लगभग हफ्ते भर के अन्दर लता प्रियांशु को वापस घर ले आयी .लता बहुत खुश थी क्योंकि अब उसका बेटा – प्रियांशु पूरी तरह से स्वस्थ था .
जल्द ही लता एक दिन मेरे घर आयी और …मेरी उस मदद के लिए अनेकों धन्यवाद दिए , मैंने उससे कहा की प्रभु को धन्यवाद दो- यह सब उसकी कृपा थी ..और कुछ नहीं .

इतना ही नहीं आज लगभग बीस वर्ष से ऊपर हो गया होगा अब भी जब हम कभी मिलते है ;( अब मैं दूर रहने लगीं हूँ कभी-२ मिलना होता है ) पर लता मेरा
उस मदद के लिए बहुत अहसान मानती है. और मैं ईश्वर का !

अंत में ऐसा मेरा मानना है की – सबसे पहले हम इंसान हैं . प्रभु ने हमें किसी न किसी विशेष कार्य के लिए अवश्य इस धरती पर भेजा है. अतः जब भी हमें कभी कोई नेक कार्य करने का अवसर मिले पीछे नही हटना चाहिए बल्कि इसे ईश्वर की अनोखी कृपा का संकेत समझना चाहिए |

मीनाक्षी श्रीवास्तव

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