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आधी रात में ..
कल रात मेरी अचानक आँख खुली और महसूस किया कि – कोई चिड़िया चीखती ….हुई आधी-रात के अँधेरे में दूर-दूर तक फैले सन्नाटे में पता नहीं कहाँ से ….कैसे …..?..शोर मचाती हुई उड़ती ..चली जा रही थी ..
हाँ , इसी दर्दभरी . .चीख ने ही मुझको नींद से जगा दिया था ….
मैं स्तब्ध सी.. हो गयी …मानो किसी बाज़ ने उस पर हमला किया हो . .शायद किसी तरह उसके चंगुल से बच के भागी जा रही थी . और अपने क्रंदन से मदद की गुहार लगाती जा रही थी …
एकाएक मुझे वह एक चिड़िया ..पक्षी ..नहीं बल्कि उसके रूप में एक मासूम बालिका ..एक ..युवती ..जो किसी दहशत अथवा उसके साथ घटी किसी भयानक…दर्दनाक घटना का शिकार हुई प्रतीत लग रही थी .( जैसा कि आजकल हर दिन ऎसी कोई ना कोई घटना घट रही है )बस ऐसा कुछ लगा था …मानो जैसे किसी ने रातके अँधेरे में घने . . जंगलों में उसको छोड़ दिया हो ..अथवा वो अपनी जान बचाकर किसी तरह तेजी से भागती जा रही थी और मानो जोर-जोर से –बचाओ . .
बचाओ .चीखती -चिल्लाती जा रही थी …फिर कुछ देर बाद उसकी वो …आवाज भी कहीं गुम हो गयी . . थी . . .
…मैं बहुत देर तक ‘सोच’ में रही – पता नहीं क्या हुआ उसका .? वह बच पायी कि नहीं ..? किसी ने आगे बढ़ कर उसकी रक्षा की या नहीं ..? वैसे अब रात ही नहीं दिन के उजाले में भी कोई किसी की रक्षा करने को जल्दी आगे नहीं बढ़ता है ..इतना समय बुरा है . कोई जानबूझ कर मुसीबत को गले नहीं लगाता है . अक्सर ऐसा भी देखा जाता है- ” हवन करते हाथ जल जाते हैं.” पर यह इंसानियत तो नहीं ..? इंसानियत का फ़र्ज़ तो सर्वोपरि होता है . और इसके लिए कभी कोई वक़्त नहीं होता है .
हर समय इस धर्म को निभाने के लिए तत्पर रहना चाहिए . दुनिया में हर किसी को कभी न कभी दूसरों की मदद की आवश्यकता पड़ती ही है ..और देखा जाय तो यही सामजिक जीवन है ; वरना किस बात का यह समाज ..? और मुख्यरूप से इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए साथ ही यदि कोई पीडिता है तो उसकी रक्षा केलिए हर किसी को आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए .
अतः हर किसी को एक दूसरे की मदद के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए ..तभी हम अपना यह जीवन सार्थक बना पायेंगें !
अंत में प्रभु से प्रार्थना है कि – अपने “कृपा – हस्त” सभी पर रखे रहना !
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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