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ऐ दुश्मनी करने वालों …

KALAM KA KAMAL
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ऐ  दुश्मनी  करने  वालों …

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ऐ – दुश्मनी  करने  वालों

ऱोज मरने – मारने वालों ,

हो  पाक़  या  हिन्दवासी ;

या फिर अन्य   देशवासी ;

क्या  खौफ़ –  ए  –   रंच   ;

रहा   न  बाकी    तुझमें   –

वक़्त  के  निगेहबां  का ?


ये  – विषाक्त सी  हवाएं  –

किधर   से  चल  पड़ी  ?

हाय ! दिलों   में   जिसने  –

नफ़रत  की  ‘ बू ‘   भर दी .

सत्य  है ;  यहाँ  – वहाँ  ;

या   कहें  –  ‘सारे – जहां ‘

आये अनेक देव  प्रभु -यीशू-

गुरु – दिगंबर – पीर – पैगम्बर

सबने  अपने  वक़्त के ढंग से –

लोगों  को  आश्वस्त किया

‘प्रेम – पथ’  प्रशस्त  किया .


सिकंदर  क़साब व  अफ़ज़ल ने –

भी आख़िर ‘ सत्य ‘  को  स्वीकारा  .

फिर  क्यों नहीं  समझ  आती है ;

इनको   ‘ सत्य ‘   की   भाषा  ..?

क्यों लगे ‘अमोलक जीवन’ को

‘बद और निष्फल’ बनाने में ..?



ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि – वह सभी के दिलो-दिमाग से नफ़रत मिटा दे !

और सह्रदयता जगा दे !  जिससे उसकी बनायीं खूबसूरत दुनिया का आनंद

सभी परस्पर – प्यार से  व  मिलजुल कर ले सकें !


मीनाक्षी  श्रीवास्तव




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