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” वैलेंटाइन डे ” / ” प्रेम दिवस ” / इज़हारे मोहब्बत का दिन

KALAM KA KAMAL
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” वैलेंटाइन डे ” की दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है ;अनेक विरोध के बावजूद भी ….क्यों ..?
प्यार को एक जीव की  प्राकृतिक आवश्यकता कहें तो उचित होगा जैसे – ‘भूख’ अथवा ‘प्यास’ !
इसे भूख – प्यास के सद्रश्य समझा जाता है . जैसे जीवन बिना भूख – प्यास के पूर्ति के बिना असम्भव है ठीक वैसे ही प्यार के बिना जीवन असंभव होता है .
सभी जड़ -चेतन – प्राणी प्यार से और पोषित होतें हैं .
यदि प्यार से पेड़-पौधों की देख रेख की जाय स्पर्श किया जाय तो उनमें उनके  रंगरूप में , फल-फूल में  पहले से भी अधिक खूबसूरती मिठास अथवा स्वाद भरपूर होता है .
जानवरों को भी प्यार से रखो तो वो भी यदि कभी कोई हमलावर बात हो तो ..वह अपनी  जान देकर अपने मालिक अपने चाहने वालों की रक्षा करता है ; अर्थात एक जानवर भी प्यार की चाहत ” भूख -प्यास रखता है ; और पहचानता भी है ..
कहतें है ..और देखा भी गया है कि – ” गऊ माता ” / गायों  को प्यार से सहलाओ तो वह भी खुश हो जाती है और अधिक ‘गोरस’ / दूध दे देतीं हैं .
.फिर ..इंसान की क्या बात कहें ? वह तो वैसे भी सभी प्राणियों में ..सर्वोपरि ..सर्वश्रेष्ठ माना  जाता है .शायद इसी लिए उसे सर्वार्धिक ” प्यार ” की ज़रुरत महसूस होती है . शायद इसी कारण विरोधों के फलस्वरूप यह दिनों- दिन परवान चढ़ता ही जा रहा है …..
आइये देखें ..पहले और आज के प्यार में ..आवश्यकता …में कितना अंतर आया है …सभ्यता  के विकास के साथ ही प्यार ..प्रेम और सुरक्षा की भावना का भी विकास हुआ है .प्रकृति की संरचना में -नियमानुसार- सभी प्राणियों में   स्त्री – पुरुष का आकर्षण होना . .एक प्रेम उत्पन्न होना ..प्राकृतिक जाना जाता है . उनके प्रेम की प्रगाढ़ता सृष्टि  का उद्भव विकास अथवा दूसरे शब्दों में संतानोत्पति का होना . फिर दोनों का आपस में स्नेह -प्रेम वास्यलता ..ममता का सम्बन्ध जुड़ जाना  ..अनमोल प्यार का पनप जाना  .


धीरे -2 प्रेम सम्बन्ध और विस्तृत हुए भाई – बहन ..बन्धु -मित्र सभी में प्यार के अनेक रूप ..अनेक चाहत देखी …पायी गयी अर्थात इस प्रकार यहाँ भी प्यार के अनेक रूप उत्पन्न   हुए .
एक समय ऐसा भी रहा अपने देश ‘ भारत ‘ में कि  हर रिश्तों का अपना महत्व था ; उनकी मान- मर्यादा रखी जाती रही .” सहोदर भाइयों का प्रेम एक मिसाल के तौर पर जाना जाता रहा  .
माता-पिता का ‘आदर भाव भी  प्रेम का अभिन्न रुप है .
पति-पत्नी भी जीवन भर दाम्पत्य सूत्र बंधन को प्यार से निभाते  .क्योंकि दोनों अग्नि को साक्षी मानकर ऐसा विश्वास करते  कि – ” ईश्वर ने इस रश्ते को जोड़ा है “. और ऎसी पवित्र भावना से परिपूर्ण हो अपने आपसी प्यार के बंधन को दाम्पत्य जीवन को आखरी सांस तक निभाया करते थे .
जीवन की गृहस्थी की गाड़ी बड़े धैर्य और  जतन  से दोनों मिलकर चलातें थे . गृहस्वामी घर से बाहर परिश्रम करता तो गृहस्वामिनी घर के पूरे परिवार का बुज़र्गों का अर्थात सभी का खयाल ..सेवा करती ..अपने पति की आय में बड़ी निपुणता  से  गृहस्थी का संचालन करती और बड़े  सुकून एवं  संतोष महसूस करती कभी उससे अधिक अपनी विशेष ” मांगें ” तोहफ़ा / गिफ्ट / उपहार की चाहत नहीं रखती थी . अपने पति के प्यार से ही वह खुद को “धन्यभाग्य ” सौभाग्यशालिनी समझती .
कहने का तात्पर्य यह कि अपनी भारतीय सभ्यता -संस्कृति एवं  संस्कार  की बड़ी विशेषता रही है .आज से वर्षों पूर्व अपने देश ..अपने समाज की संस्कृति पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुई . कालान्तार में बड़े मायने में इसमें परिवर्तन दिखायी देने लगें हैं। जैसा कि  सभी बुद्धिजीवी  जन देख रहें है ..महसूस कर रहें है .
आज अपनी संस्कृति अपने भारतीय संस्कारों में पाश्चात्य संस्कृति – संस्कारों की छवि ..प्रभाव नज़र आता है .कुछ कारण तो स्पष्ट हैं अंग्रेजो  का भारत में शासन  होना ; जिस कारण उनका प्रभाव जब हिन्दुस्तान की भाषा में दिखायी देता है तो अन्यत्र भी अवश्य दिखायी देगा .
जैसे चाहे जितना प्रयास ” हिंदी भाषा ” को लेकार किया जाता हो पर उससे कहीं चौगुना आज अंग्रेजी का बोलबाला है और होता ही जा रहा है .ठीक वैसे ही “
” वैलेंटाइन डे ” का भी चाहे कितना विरोध हम यह और विस्तृत रूप में दिखाई देने लगा है .स्पष्ट है की हमारा समाज ..लोग . .बड़ी तेजी से बदल रहा है .
वर्तमान में भावनाएं ..प्यार ..सभी के दायरे ..मायने ..सभी कुछ बदल गएँ है और दिनोदिन बदलते ही जा रहें है .
प्यार के बदलते मायने . .या  दूसरे शब्दों में – प्यार के बदलते रिश्ते  ….

वर्तमान में  लगभग हर किसी में धैर्य  एवं सहन – शक्ति की बहुत कमी हो गयी है . किसी में संतोष जैसा भाव भी कम देखा जाता है .

हर बात का बाह्य दिखा आज हमारे समाज का प्रतिबिम्ब बन के रह गया है . ” बढ़िया  घर , गाड़ी , वस्त्र  एवं  आभूषण के साथ – साथ  कीमती उपहार – भेंट  देना – लेना दोनों का प्रचलन जोर-शोर से चल रहा है . कोई किसी से कम कैसे ..? और क्यों दिखे ..?
चाहे जैसे हो गलत -सही कोई भी ढंग अपनाएँ पर ..बराबरी ..करनी है ..उससे भी बढ़कर हो सके तो और अच्छा …बस इसी रफ़्तार को पकडे  मुख्य रूप से ‘ नयी पीढी ‘  आगे बढ़ती जा रही है . प्रेम मोहब्बत के मतलब भी दिखावे ..से प्रतीत होते है ..क्योंकि जहाँ गिफ्ट नहीं वहाँ प्यार कहाँ  ..? जी हाँ , आज की पीढी कुछ ऐसा ही समझती है …और ” वैलेंटाइन डे ” को कुछ इसी अंदाज़  से सेलेब्रेट  करती है .

अन्य कुछ महत्व पूर्ण बातें ..तथ्य और भी दिखायी देतें है जैसे :
1- इस दिन ” वैलेंटाइन डे “के अवसर पर स्त्रियों  की भी भावनाए ..सोच .बदली हैं , कोई – अपने पति से या ” प्रेमी से हर बार कीमती  उपहार की अपेक्षा करती है; वह उसी को प्यार समझती है .

2- कुछ स्त्रियाँ सिर्फ अपने प्रियतम के व्यस्ततम समय से अपने लिए “अनमोल पल “ की उम्मीद करतीं है तो ऊनके प्रियतम उसे ”  उसके विपरीत ” बहुमूल्य भेंट देकर खुश देखना चाहता है –

3-कुछ प्रियतम  अपने प्रियतमा को समय तो देतें है पर कभी कोई उपहार नहीं देते . उनका ऐसा मानना की- जो भी अपना है सब ‘पत्नी ‘ का ही तो है .


संक्षेप में इतना कहना चाहूंगी कि  – प्यार की आवश्कता सभी को होती है . और होना भी चाहिए . पर दिखावे से परे होना चाहिए .

हम यदि सही – सकारात्मक नज़रिया अपनाएँ तो ” वैलेंटाइन डे ” को भली भाँति  मनाया जा सकता है .

इस प्रेम दिवस / वैलेंटाइन डे “ का चलन (युवा) लड़के – लड़कियों में  कुछ अधिक दिखायी देता है .
वर्तमान में माता – पिता के लिए अपने युवा बच्चों का विवाह भी बहुत बड़ी चुनौती बन गया है .अतः यदि इस दिन कोई किसी को पसंद कर अपने प्यार का इज़हार कर देता है तो कोई बुरी बात नहीं . इससे उनके घरवालों को राहत मिलेगी . व्यर्थ समय नहीं जाएगा ..( मैंने पहले भी जैसा कहा – कि  सोच साकारात्मक हो . )

इसके साथ ही हर रिश्तों में सच्चाई होनी चाहिए ; दिखावा नही . इसके साथ ही यदि अपने प्रियतम या प्रियतमा कोई भी एक दूसरे को यदि उपहार भी देता है  तो गलत बात  नहीं  ..  बदलते ज़माने में कुछ न कुछ तो बदलाव होना चाहिए ….लेकिन एक बात उपहार के चक्कर में क़र्ज़ न लें .. या कोई गलत् कार्य करके उपहार खरीदना  देना – लेना  दोनों ही अनुचित है .
रिश्तो में संबंधों में सच्चाई ..और मधुरता होनी चाहिए  बस .

अंत में इतना कहना चाहती हूँ कि-  . .ताउम्र  हमें अपने रिश्तों को अपने “प्रियतम अपनी प्रियतमा  को ” प्रेम रंग ” से सिंचित  करते रहना चाहिए . हर दिन -ख़ास ही समझना चाहिए .
Happy Valentine Day !
मीनाक्षी श्रीवास्तव

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