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संदेशा सुनि “ पिय “ घर आवन का ….

KALAM KA KAMAL
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सुनि घर आवन का ….

‘नवेली’ की कैसी दशा हुई – ? ज़रा देखियेनिम्नांकित – पंक्तियाँ कुछ  यूँ बयान कर रहीं हैं  :


सुनि पिय आगमन का संदेशा

विह्वल हो गई तन – मन से –

कुछ आकुलाहट कुछ सकुचाहट

‘वो’ हो जाती

ह्रदय उच्छ्वासों पे काबू करती

उड़्ता आँचल – झुकती पलकें।

……………………………………

ठहर ‘अली’ श्रंगार तो कर ले

अपना रूप निहार दर्पण  में

पर ना देख सकी ‘आईना ’

अंखियां मुंद गईं यूं लज़ा के ।

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उन्मुख मन  के दरवाज़े  पर

सुन – ‘प्रिय’ कदमों की आहट

द्रुत  चपला ‘वो’ दौड़  पड़ी ‘

पर  हौले से –  कुंडी  खोली ।

……………………………………


पट खुलते – प्रियतम को  देखा

बदली से निकला चाँद ज्यों  देखा

नैन चार हुए – सूर्ख  गाल  हुए

कदम ठिठक गए, दिल महक गए !

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मीनाक्षी श्रीवास्तव

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