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“ नवरात्र मंगलमय पर्व “
नवरात्र के मंगलमय पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ !
माँ अम्बे-जगदम्बे सभी जनों पर अपनी शुभ कृपा बनायें रखें !
अपने देश भारतवर्ष में नवरात्र के इस पावन पर्व पर सभी जगह ”मां दुर्गा जी“ का पूजन अर्चन, कलश स्थापना, मां की मूर्ति स्थापना भजन-कीर्तन के साथ ‘जागरण ‘ तथा व्रत उपवास और फिर कन्या पूजन इत्यादि करके इस उत्सव को बड़े भक्ति भाव और जोश से मनातें हैं । अधिकांशत: सभी इससे भली-भाँति परिचित है अत: ये सब मैंने विस्तार में ना लिख कर , संक्षिप्त रूप से वर्णन किया है…साथ ही एक “ मां का गीत ” लिख रहीं हूँ, जो निम्नांकित है :-
मां शेरावाली / मां अम्बे का गीत
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ये तो बता दो “ मां शेरावाली ”
मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगी
तुम्हारी दया पे ये जीवन है, मेरा
मैं कैसे तुम्हारी………………….
किये हैं गुनाह मैंने माता अनेकों
कभी जागते और कभी सोते में
मुझे है यकीं तेरी रहमत मिलेगी
मैं कैसे तुम्हारी …………………
बहुत ठोकरें खा चुकी ज़िंदगी में
तमन्ना है बस इक तेरे दरश की
कब तक तुम माते दर्शन ना दोगी
मैं कैसे तुम्हारी ……………………
भले छूट जाये ज़माना ये सारा
मगर ना छूटे कभी मां तेरा द्वारा
जहां से मिली मुझे नई ज़िंदगानी
मैं कैसे तुम्हारी……………………
ये तो बता दो मां शेरावाली……..
मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगी
तुम्हारी दया पे ये जीवन है, मेरा
मैं कैसे तुम्हारी………………….
उपर्युक्त ‘समर्पण गीत’ से वे सभी जिनके नाम ‘ गुनाह ‘ की सूची में प्रदर्शित हो चुकें है अथवा निकट भविष्य में होने की संभावना है तो वे अविलम्ब माँ शेरावाली / जगदम्बे की शरण में आकर अपना गुनाग कबूल कर लें और अपार धन राशियों को जो पता नहीं अपनी किन पुश्तों -पीढ़ियों के लिए सहेजे हुए हैं ; उसे असहाय और गरीब लोगों में बाँट कर, अपने आपको शायद गुनाह मुक्त कर सकते हैं . इसके साथ ही वे लोग जो अन्य किसी प्रकार के गलत कार्यों / अपराधों में सिद्धस्त हैं ..स्वयं पर दया करें और माँ शेरावाली के शरण में आजाएँ .अपना कल्याण कर लें .अगर वे अपने लिए इतना भी नहीं कर सकतें तो और कोई क्या करेगा उनके लिए ?
पुनः एक बार फिर …..माँ जगदम्बे सभी पर दया करें !
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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