सत्ता में मत्त ” सरकार “
सत्ता में मत्त ,” सरकार “
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सत्ता में मत्त
” सरकार “
करती अपने ,
सौ “जुगाड़”
“बेखबर” हो,
दुनिया “जहान “
भूल करते
हैं; ” हज़ार ”
जिसके बल से,
” इतराते ”
” उसी ” को ,
बहुत “सताते”
जनता के रक्षक
बनने का
ढोंग – नाटक,
करते रोज.
दिखी नहीं ,
कोई “सुनामी”
ना कोई “भूचाली”
” सुरक्षा ”
ना सूखे की
” तैयारी “
ना गीले की,
” रखवारी ”
अपनी ही,
अनेक योजनायें ,
दिन-रात संजोते,
रहतें हैं.
फंसते हैं ; जब
” हाय – हाय “
बच जाते; तब
“बाय – बाय”
” जागना “बहुत
ज़रूरी है;
करना नहीं
हुज़ूरी है
“काल करे सो
आज कर ”
का पालन
करो ” मित्रों “ !
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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