Menu
blogid : 4431 postid : 383

बदली सोच …बदला नज़रिया…

KALAM KA KAMAL
KALAM KA KAMAL
  • 161 Posts
  • 978 Comments

देर लगी पर .. नजरिया तो..  बदला …
——————————————————–

बहुत अच्छा लगा कि अब पुरुष वर्गों में महिलाओं के प्रति एक सकारात्मक ..एक सही सोच ने जन्म लिया है. आज कई बड़ी कम्पनियाँ गृहणियों की सोच – उनकी सूझ -बूझ को अपना रहीं हैं अर्थात एक गृहणी कैसे इतने ढेरों काम करती है ,कैसे घर को सुन्दर -सुव्यवस्थित रखने से लेकर , कैसे परिवार के सभी सदस्यों उनकी रुचियों का सेहत का समय से ध्यान रखती है , कैसे मेहमाननवाज़ी कर लेती है , कैसे वो किसी का जन्मदिन या कोई शुभ अवसर / दिन नहीं भूलती , दूर रिश्ते नाते -दारों को भी फ़ोन से जोड़े रखती है . शादी ब्याह में देने लेने से लेकर अपने सभी के भविष्य की भी सुरक्षा की व्यवस्था अपने अलग तरीके से कर ही लेती है और न जाने क्या- क्या ..

Bajajallianz के कई विज्ञापन में – टी.वी. के माध्यम से – इस बात का प्रदर्शन करते साफ़ दिखाई देता है की , उन्होंने गृहणियों के तौर – तरीकों को , उनकी खास सूझ- बूझ को -महत्व दिया है / अपनाया है -और अपने कई प्लान – योजनायें इसी आधार पर बनायीं हैं . ऐसे अन्य कई और भी विज्ञापन द्वारा ये बात स्पष्ट होती जा रही है .

इसी प्रकार एक और टी.वी. प्रोग्राम / सीरियल में भी एक लेडी जो पढ़ी लिखी तो थी ,पर उसके पास केवल घर-परिवार की देख-रेख के अलावा कोई भी ऑफिशियल वर्किंग का अनुभव नहीं था ,अचानक आई किसी खास मजबूरी के कारण उसने जॉब के लिए आवेदन करती है और …जब… उससे उस कंपनी के डायरेक्टर / अर्थात साक्षात्कार लेने वाले ने – साक्षात्कार में पूँछा- की यहाँ आने से पहले आपने क्या किया ..? वैसे इस प्रश्न से वह कुछ ..चकित हुई लेकिन उनके द्वारा पुनः उसी प्रश्न दोहराने पर ; उसने जवाब में बताया की – ” मैं सुबह पांच बजे उठी….अर्थात उसने ऑफिस पहुँचने तक की सारी लिस्ट दे दी – जिसमें – बेड टी , बच्चों के तैयार से लेकर उनका टिफिन बॉक्स रेडी करना और उनको प्यार करना , न्यूज़ पेपर पढ़ना, दोपहर का ४-५ लोगों का खाना , खुद नाश्ता करना , फिर कुछ साक्षात्कार से सम्बंधित रिवाईज एवं तैयारी की, और तैयार होकर ऑटो से ऑफिस पहुँचने तक आखिर उसने एक-एक कर सब बता ही डाला , जैसे ही उसने अपनी बात पूरी की – डायरेक्टर ने कहा – बस यही मुख्य कारण है -” क्योंकि आप दिन-रात …चौबीसों घंटे काम ख़ुशी-ख़ुशी करतीं है और सबका ख्याल रखतीं हैं ” अर्थात आपको सबकी परवाह / चिंता है. एक लगन है .- बस यही मुझे चाहिए . आप जैसा इस कंपनी में कोई नहीं है . और इस कंपनी को आपकी बहुत आवश्यकता है . और इस प्रकार उसका चयन हो जाता है . ये कोई मात्र टी.वी. प्रोग्राम / सीरियल की बात नहीं . ना ही मजाक बल्कि ..हकीकत बनता जा रहा है . क्यों की महिलाओं ने अपनी क्षमताओं को और अधिक बढा लिया है.. इतना ही नहीं वे आज घर- बाहर- ऑफिस सभी जगह हर काम को बड़ी ईमानदारी एवं लगन से करतीं हैं .

तो आज बड़े से बड़े पढ़े लोग जिनको वास्तविक रूप से शैक्षिक कहा जाये ,वे इस बात को स्वीकारने लगे है की ; उनसे कहीं बेहतर महिलाये कार्य करती हैं ..और कर सकती हैं. वे लोग इस बात से इनकार नहीं कर पा रहें है की एक महिला उनसे भी कहीं अच्छा प्रबंधन कर सकती है . इसी वज़ह से लड़कियों का चुनाव हर संस्था में अब पहले से अधिक होने लगा है .
हर वर्ष के परीक्षा परिणामों में लड़कियों का प्रतिशत बढ़ ही रहा है कम नहीं …

इस नयी सुलझी हुई सोच को जाग्रत करने में, लड़कियों महिलाओं को ही श्रेय जाता है क्योंकी उन्होंने स्वयं को शैक्षिक कर जीवन के हर पहलूवों पर ध्यान दिया है और पुरुषों के अहंकार को कहीं न कहीं मात भी दिया है और लगातार दे रहीं हैं …
ईश्वर की बनायी इस दुनियां में सभी को जीने का हक़ है . सभी का महत्व्व है. किसी को अहंकार वश दूसरे को कम / निम्न नहीं समझना चाहिए . अहंकार सब कुछ नष्ट कर देता है.हमारे प्राचीन युगों , इतिहास एवं वर्तमान के न जाने ऐसे कितने उदहारण मौजूद हैं . अतः सदा सतर्क रहते हुए दूसरों का भी महत्व समझना चाहिए .

अंत में बस इतना .. बहुत- बहुत शुक्रिया जिन्होंने अपना सकारात्मक नज़रिया – महिलाओं के प्रति बनाया है ; साथ ही एक बात महिलाओं से भी – भले लाख हीरे-मोती अर्थात गुणों एवं महानता अपने दामन में भरे हों पर कभी इतराना मत न आपस में ना ही पुरुषों से .

मीनाक्षी श्रीवास्तव

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh