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कार्टून विवाद
इस विषय पर – मैं यह कहना चाहूंगी कि – – क्या पाठ्यक्रम की पुस्तकों में महान हस्तियों के कार्टून की देने की अथवा उनके कार्टूनों द्वारा अभद्र प्रदर्शन उचित है..? मेरे विचार से विद्यार्थी जिन महान पुरुषों के जीवन उनकी विद्वता को पढ़कर ..सीख कर..उनसे कोई सीख ले सकें अथवा भविष्य में अपने जीवन में उतार सके – तो ऐसा होना अर्थात उन्हीं के कार्टून …बिलकुल अनुचित है ; क्या प्रभाव विद्यार्थियों पर पड़ेगा ?
समाचार पत्रों में और पत्रिकाओं में कार्टून अपने आपमें किसी भी शख्स की चाहे वो कोई नेता – अभिनेता अथवा कोई बाबा हो..सारी सच्चाई कह देता है अर्थात यहाँ सब चलता है ; परन्तु कोर्स / पाठ्यक्रम में ठीक नहीं.क्यों कि विधार्थियों पर बुरा असर पड़ेगा .उन्हें अपने देश और उन महान नेताओं के प्रति कोई आदर- सम्मान नहीं जाग्रत होगा. अतः किसी भी महान पूज्यनीय हस्तियों के कार्टून स्कूली किताबों नहीं होने चाहिए .इसी प्रकार उन सभी के जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों का वर्णन होना चाहिए . यदि कहीं उनके जीवन का यदि कोई कोना साफ/ उजला अथवा पाक नहीं भी है ;तो भी उसका चित्रण इन पुस्तकों पर मुख्य रूप से नहीं होना चाहिए .क्यों कि हमारे आज के ये..विद्यार्थी कल को ..देश के भावी नेतृत्व करने वालें हो सकतें हैं .अतः हमें उनको एक अच्छे आदर्श को एक नैतिकता को ही दर्शाना चाहिए . विद्यार्थियों को समाज में – गलत कार्यों अथवा अनुचित कार्यों के प्रति सावधान करने के लिए अन्य कोई उदाहरण अथवा कहानी द्वारा पुष्टि करना सही होगा .वैसे ये तो हुई “पाठ्यक्रम में बाबा साहब अंबेडकर के कार्टून ” वाली बात .
परन्तु वास्तव में – बाबा साहब अंबेडकर वाला कार्टून एक बहाना है मुख्य तौर पर सांसदों की असली परेशानी कार्टूनों में उभरती उनकी खुद की छवि है – जिससे वे शोर मचाते नज़र आ रहें हैं . आज इतनी मीडिया के क्षेत्र क्रांति हो गई है कि – सब बेनकाब हो रहें हैं . पहले होश नहीं था अब पकड़े जाने पर – जनता के सामने आने पर लोगों को अन्य उदहारण के माध्यम से अपनी और से दूसरी और उनका ध्यान केन्द्रित करना चाह रहें हैं . उनको भ्रमित कर बच जाना चाहतें हैं – पर अब इतनी भी जनता भोली नहीं रही.. आप ही लोगों ने उसे समझदार जो बना दिया है .
अतः मेरे विचार से ये – ” कार्टून विवाद ” सभी राजनैतिक..शतरंज की चालें हैं .
.बस जनता को हमेशा सावधान और चौकन्ने रहना चाहिए . विवेक …और बुद्धिमत्ता से काम करना चाहिए .
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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