Menu
blogid : 4431 postid : 361

मदर्स डे (13 मई, 2012)” माँ की ममता की थाह… कोई नाप.. नहीं सकता है “

KALAM KA KAMAL
KALAM KA KAMAL
  • 161 Posts
  • 978 Comments

” प्यारी  माँ  “

_________


” मदर्स डे ” अर्थात ” Matra -Diwas “ अपने देश भारत में वैसे तो ” नवरात्र ” में मनाया जाता है ; परन्तु कुछ वर्षों से एक अन्तराष्ट्रीय तौर पर – ” मई के 2’nd – सेकंड संडे यानि ( दूसरे रविवार) को मनाया जाने लगा है . अन्य कई देशों में लगभग मार्च से लेकर मई तक मदर्स डे कहीं Ist कहीं – 2nd सप्ताह के सन्डे.. यानि अलग -२ तरह से मनाया जाता है .


वैसे ” माँ ” के बारे में ..वो चाहें इस देश की बात हो या किसी अन्य देश की – उसकी गुण – गाथा जितनी की जाये कम होगी ये- सर्वविदित है.
माँ बनना ..अपने आप में एक अलौकिक सुख की अनुभूति है – और इसीप्रकार से बच्चों के लिए भी उनकी ‘ माँ ‘ सबसे प्यारी होती है .
ईश्वर ने माँ को बेमिसाल बनाया है. उसके भीतर अपने बच्चों के लिए कितनी ममता भरी होती है ; कोई जान नहीं सकता .
क्यों …?…. कैसे….? शायद ..लगभग नौ.. साढ़े नौ महीने ..और ६४८० घंटे से भी अधिक – अपने भीतर रख कर सोते – जागते हर समय ..रग- रग से हर एक सांस से उसको जीवन देकर … पोषण करती है जिससे माँ – बच्चे का एक अनोखा .. अटूट …रिश्ता जुड़ जाता है. यह सब प्रभु की चमत्कारिक लीला का उदाहरण है .

बच्चे के जन्म से पहले जहाँ वो आंतरिक रूप से पालन – पोषण करती है , जन्म के बाद माँ दिन-रात हर प्रकार से अपने बच्चे का ध्यान रखती है .
एक माँ अपने बच्चे का मुखड़ा उसकी मुस्कान उसकी तोतली भाषा .. इन सब को देख बलि-बलि जाती है ; कहीं नज़र न लगे झट से कभी काजल तो कभी प्रभु से दुवा मांगती है .


माँ को उसका बच्चा चाहे एक दो या फिर इससे अधिक दुनियाँ ..जहान में सबसे प्यारा होता है .
माँ अपने बच्चे को उसको हर प्रकार से सुखी बनाने के लिए , उसकी खुशी के लिए – हर प्रकार का त्याग करती है .छोटी से लेकर बड़ी – उनकी हर इच्छा पूरी करने का प्रयत्न करती है . उनके भावी सुनहरे जीवन की बुनियाद रखती है . उन्हें अच्छे संस्कार देती है .प्रारंभ से वह बच्चे कि ना केवल माँ , टीचर बल्कि मित्र भी बनकर रहती है . इसी कारण बच्चे माँ से अपनी बहुत बातें साझा कर लेतें हैं . उसके बच्चों का जग में नाम हो – ये हर माँ की चाहत होती है .


कहने का आशय यह है कि – माँ और उसकी महिमा का वर्णन अवर्णीय है . खुद राम और कृष्ण भगवान् मानव रूप धर ‘ धरा ‘ पर आये और माँ की ममता ..उसकी वात्सल्यता का सुख लिया.यहाँ तक कि कहतें हैं – ब्रह्मा – विष्णु – महेश से भी नहीं रहा गया और उन्होंने भी माता अनुसुइया के शिशु बन उनकी ममता देखी … जानी और सुख प्राप्त किया था .

कहने का तात्पर्य – माँ उसकी ममता की छाँव एक बच्चे के लिए – और एक माँ के लिए उसके बच्चे क्या मायने रखतें हैं ; शब्दों में बयां कठिन है.. बस अहसास की बात है.

” माँ स्वर्ग से भी बड़ी / महान होती है “

संसार में “माँ “ परमेश्वर का साक्षात् स्वरुप होती है .
ये सभी श्रेष्ठ ग्रंथों की बातें कुछ के गले उतरतीं हैं – कुछ के नहीं .
अलग – अलग मानसिकता अलग – अलग सोंच के व्यक्ति इस जगत में रहतें हैं.


कुछ तो ऐसे लोग हैं जो जीवन पर्यंत माँ के चरण पखारतें हैं ;क्योंकि वे जानतें है कि – माँ से बड़ा हितैषी कोई और नहीं हो सकता . उनकी हाँ में हाँ – उनकी ना में ना .ऐसे लोगों के लिए माता की – आज्ञा सर्वोपरि होती है .सदा माँ को सम्मान ही नहीं देते बल्कि पूजतें हैं ; अर्थात उनकी हर बात को महत्व देतें हैं .

माँ की फ़िक्र तो दूर उनको सम्मान भी नहीं देते . उनको तो बस पत्नी मिल गयी मानो सारा जहां मिल गया . – उनकी अपनी सही – गलत सोचने .. निर्णय लेने की क्षमता जैसे गायब हो जाती है . वे अपनी पत्नी को किसी भी कीमत में नाराज़ नहीं करना चाहतें ; चाहे माँ को कितना भी कष्ट दे..दे . तो..ऐसे भी विवेकहीन लोग हैं इस दुनिया में ; परन्तु माँ सदा अपने बच्चे की दुवा सलामती प्रभु से नेक मनाया करती है .

और कुछ पहले और शादी के बाद सपत्नीक अर्थातवे लोग भाग्यशाली होतें है जिनको सुलक्षणा – संस्कारी समझदार पत्नी मिलती है जो कभी भी माँ बेटे के रिश्तों में दरार नहीं डालती बल्कि और मजबूत करती हैं . वो भी अपने ‘ सासू माँ ‘ को शायद माँ से बढ़कर सम्मान देती है और उनके आशीर्वादों को प्राप्त कर जीवन सुखमय बनाती है. ऐसी माँ बड़ी सौभाग्यशाली होती है ; जिसके बच्चे – बहू सभी उसका सम्मान करतें हैं.

वैसे मैं एक अन्य महत्वपूर्ण बात पर ध्यान आकृष्ट करना चाहतीं हूँ – आजकल एक नया चलन शुरू हुआ है – हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम में कि – प्रसव के दौरान डॉ. लोग- महिला / स्त्री के पति को भी- समक्ष यानि ( उसी कक्ष ) में उपस्थित ..रहने देतें हैं ; इसके भी कई महत्वपूर्ण फायदे व तथ्य हैं सामने आने लगें हैं …आ रहें हैं और आते रहेंगे …

१- यदि प्रसव दौरान कोई समस्या – कठिनाई हुई तो ‘ पति’ सामने है उसे पता होगा ; डॉ. पर कोई दोष नहीं लगाया जा सकता .
२- लड़की हुई या लड़का हुआ – ये भी उसके सामने होगा ..बदलने का कोई भय नहीं .
३- पत्नी के कोई अन्य अंग क्षत-विक्षत या गायब नहीं हुए ये भी पति को पता होगा ; जैसा कि सुनने में आता है कि ….
४- सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह कि – एक पति..एक व्यक्ति साक्षात् देख सकता है – ” एक माँ की प्रसव – वेदना – जो जग विख्यात है “. और फिर जरूर अहसास कर सकता है कि-” वास्तव में उसकी पत्नी कितने कष्ट… कितनी पीड़ा सहने के उपरान्त माँ बनी है ;अर्थात वो समझ जाता है कि – माँ बनना अपने आप में एक स्त्री के लिए नया जन्म लेने के समान होता है ; फिर चाहे वो बेटा हो या बेटी – दोनों में भयंकर कष्ट होता है .

अतः अब ऐसा द्रश्य प्रत्यक्ष… अपनी आँखों से देख कर उसका भी ह्रदय पसीज रहा है ..द्रवित हो रहा है और आज “ उसका और माँ की ममता ” का सम्बन्ध और अधिक प्रगाढ़ हो रहा है. आज अपनी माँ का दर्द अपनी पत्नी के दर्द से जान गया है ; उसकी ममता का राज़ समझ रहा है , फलस्वरूप वह अपनी माँ और अपनी पत्नी दोनों को ही प्यार और सम्मान देता है .
क्यों माँ की ममता इतनी अनमोल है …क्यों माँ की ममता की थाह कोई नाप नहीं सकता है – इस भेद को वह जान गया है और… जान रहें हैं – क्यों माँ बच्चे का रिश्ता इतना अटूट होता है .
आज वह समझ गया है क्यों माँ का दर्ज़ा सर्वोपरि होता है . वह समझ गया है कि सही कहा गया है: ” माँ स्वर्ग से भी बड़ी / महान हैं “.

अतः वर्तमान में पुनः यह बात चरितार्थ हो रही है कि- ” माँ स्वर्ग से भी बड़ी / महान हैं “. और इस जगत में माँ साक्षात् परमेश्वर का रूप है .

शुभ कामनाओं के साथ – on ” HAPPY MOTHER’S DAY ” .


मीनाक्षी श्रीवास्तव

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh