इबादत ( गज़ल )
इबादत
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एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी , उनसे
आज भी याद है कि भूली नहीं वो बात दिल से,
एक अधूरी सी …………………………………….
नींद में सोये कि फिर ख्वाब में आकर के मिलें
कहना चाहा था जो अल्फाज़ मेरे लव न हिलें
एक अधूरी सी ………………………………….
हाल- ए – ज़ज्बात लिखे हमने थे बहारों में कभी ,
भेज पाते कि हवाओं ने उड़ा दिए थे उसे
एक अधूरी सी …………………………………….
है खुदा से ये इक ख़ास इबादत मेरी
एक बार मिलने कि बस दे दें इज़ाज़त तो मुझे एक अधूरी सी ………………………………………
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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