KALAM KA KAMAL
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” valentine day ” ” प्रेम-दिवस “पर
” तुम्हारे निर्झर प्रेम.. धारा में “
तुम्हारे निर्झर प्रेम – धारा में यूँ.. ही बहते रहने को जी चाहता है ,
तुम्हारे अविरल स्पंदनों की झंकार में यूँ ही झंकृत रहने को जी चाहता है ,
तुम्हारे नयनों में यूँ ही मधुर- छवि बने रहने को जी चाहता है ,
तुम्हारे सुर्ख़ लवों की यूँ ही हसीं मुस्कान बने रहने को जी चाहता है ,
तुम्हारे दामन की खुश्बू में यूँ ही महकते रहने को जी चाहता है ,
तुम्हारे क़दमों की मंझिल में यूँ ही – हम – क़दम बने रहने को जी चाहता है,
तुम्हारे सफ़र में हमसफ़र यूँ ही बने रहने को जी चाहता है ,
तुम्हारे जीवन में सदा ख़ुदा की रहमतें बनी रहे, दुवा करते रहने को जी चाहता है .
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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