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मासूमीयत

KALAM KA KAMAL
KALAM KA KAMAL
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आज के परिवेश में मासूम बच्चे किस कदर डरे और सहमें हैं;ऐसी ही
बाल मन के भय को उजागर करती ये- काव्य रचना …….

“बरसों पुरानी बात ”

बरसों पुरानी बात बेटी ने ,
आज बताई मुझको ,
माँ मैं रही क्यों कच्ची पढाई में,
आज बताऊँ तुझको ,
मैं तो चाहूँ हरदम तेरे ही,
संग – संग में रहना ,
मैं न छोडूँ तुम्हें अकेला ,
मन घबराए मेरा,
माँ तुम जाती जब स्कूल ,
या फिर बैंक व मार्केट ,
जहाँ भी जाती लोग तुम्हीं को
‘बहुत तरह ‘ से देखते,
तुम भोली बिलकुल न समझती,
मैं बच्ची थी सब समझती ;
बहुत सी फिल्मों में देखा था ,
बच्चोँ की माँ को छिनते ,
यही सोच मैं डर-डर जाती,
बन प्रहरी मैं संग-संग रहती ,
स्कू ल – किताबों से भी प्यारी ,
सबसे अच्छी मम्मी हमारी .
मीनाक्षी श्रीवास्तव

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