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” राजभाषा हिन्दी दिवस ”

KALAM KA KAMAL
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” राजभाषा हिन्दी दिवस ”

” ईश्वर द्वारा रचा वह देश जो हिमालय से प्रारंभ होकर हिन्द महासागर (इंदु सरोवरम) तक सुशोभित होता है ; वह हिंदुस्तान हमारा देश है.- ” हिन्दी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्तान हमारा ”
और हिंदुस्तान की पहचान उसकी ” हिन्दी भाषा ” से ही है अर्थात हमारी ” मातृभाषा-हिन्दी ” है.
हम हिन्दी / हिन्दुवासी- सम्पूर्ण विश्व में ” हिन्दी भाषी ” होने का विशिष्ट स्थान रखतें हैं.
विश्व में हर देश की अपनी अलग -अलग भाषा है और यही उसकी पहचान भी.हर देश अपनी-अपनी राष्ट्र-भाषा में संवैधानिक /सरकारी और सभी महत्वपूर्ण कार्य करतें हैं ; परन्तु हिंदुस्तान (भारत ) में 14th सितम्बर 1949 ” को हिंदी भाषा ” को देवनागरी लिपि के साथ ” भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में राजभाषा ” की मान्यता प्राप्त हुई थी.उससे पहले अंग्रेजों के शासन होने के कारण अंग्रेजी का ही बोलबाला था .
हिन्दी भाषा अपने अथाह शब्द समूहों ,साहित्य ( गद्य/पद्य),ज्ञान-विज्ञान,भौतिक , रसायन, दर्शन , संगीत , गणित, ज्योतिष , आयुर्वेद इत्यादि में वृहद रूप से सशक्त और संपन्न है .
इसको संपन्न बनाने में वर्षों से हमारे साहित्यकारों (लेखकों /कवियों ) एवं शिक्षाविदों का प्रमुख योगदान रहा है, जैसे- भारतेंदु हरिश्चंद्र , मुंशी प्रेमचंद्र , महावीर प्रसाद द्विवेदी, हजारी प्रसाद द्विवेदी, अज्ञेय ,संपूर्णानंद ,निराला ,जयशंकर प्रसाद , सुमित्रानंदन पन्त , महादेवी वर्मा , नीरज इत्यादि .हिन्दी भाषा की इन्ही विशेषताओं को देखते हुए अन्य कई देश इसे किसी न किसी स्तर तक अपनाने
लगें हैं; जैसे – यूसए , यूके ,इंडोनेशिया ,मलेशिया ,सउदी अरब,ऑस्ट्रेलिया ,सिंगापोर, कनाडा, नेपाल, इत्यादि . और कुछ देशों में इसे प्रमुख विषयों में भी शामिल किया है .परन्तु अपने देश में आज हिन्दी की गरिमा धूमिल पड़ती जा रही है; अंग्रेजी के प्रभाव से ढकती ही चली जा रही है . कारण कि हम ” घर की मुर्गी दाल बराबर” समझतें हैं .जबकि माइक्रोसोफ्ट , ऑरेकल जैसी विश्प्रसिद्ध कंपनियों ने भी हिन्दी में चलने वाले प्रोग्राम बनायें हैं – इससे बड़ा और क्या उदहारण हो सकता है..? देखा देखी कितनी ही अन्य
संस्थाएं इस भाषा की ओर अग्रणी हो रहीं हैं.
परन्तु हम हैं कि अंग्रजी में बात करना अपनी शान समझतें हैं ; और हिन्दी में बात करने में पिछड़ेपन का या कम पढ़े-लिखे होने का अहसास करतें हैं . जब कि- अन्य देशवासियों की भांति हमें भी अपनी ” राजभाषा हिन्दी ” के उच्चारण एवं प्रयोग पर गर्व करना चाहिए.
हिन्दी दिवस मनाए जाने से तात्पर्य यही रहा है कि हर प्रकार से ” राजभाषा हिन्दी ” की उन्नति हो .अत: हर वर्ष 14th सितम्बर के दिन सरकारी-गैरसरकारी ( निजी ) और अनेक शिक्षण संस्थानों में कई प्रकार के हिन्दी भाषा में कार्यक्रम , गोष्ठियां और प्रतियोगिताएँ आयोजित कर तत्पश्चात उन्हें पुरस्कृत कर ” हिन्दी भाषा ” के प्रति जागरूकता बढ़ाना ,उत्साहित करना , ज्ञान बढ़ाना और हिन्दी भाषा का विकास करना .हिन्दी भाषा को सफल बनानें के लिए – सरकार द्वारा कुछ अन्य ठोस कदम उठाये जाने चाहिए (मेरे विचार से ) – जैसे- प्रथम हिन्दुस्तान में रहने वाले हर व्यक्ति को हिन्दी भाषा का ज्ञान एवं प्रयोग करना अनिवार्य हो.अन्य कितनी ही भाषा ‘वो ‘सीख ले , ये उसकी अपनी अभिरुचि होगी .जिसके लिए कोई मनाहीं नहीं .दूसरा -जो लोग हिन्दी बोलने वालों का उपहास करतें हैं ;या किसी भी प्रकार से उनको अपमानित करतें हैं ;तो उनके लिए सख्त कानून बनाना चाहिए क्योंकि – मातृभाषा / ” राजभाषा हिन्दी ” का अपमान करना- अपराध कि श्रेणी में आना चाहिए . हमारे उच्च माननीय कार्यकारी पदाधिकारी भी अपने भाषण से लेकर सभी कार्यों को हिन्दी भाषा में करने की अनिवार्यता लायें नहीं तो ढाक के तीन पात -अर्थात सब निर्थक ही साबित होगा . सरकार को हिन्दी भाषा को विश्वस्तरीय शीर्षस्थ पर पहुँचाने के लिए – (वर्तमान में अंग्रेजी ,चीनी के बाद विश्व में तीसरे नंबर पर हिन्दी भाषा है ) विद्ववान साहित्यकारों एवं अनुभवी शिक्षाविदों के सुझाव लेकर ऐसी योजनाये- कार्य प्रणाली एवं वर्तमान समयानुसार अन्य नए ढंग से अनुपालन करें तभी पुनः हिन्दी भाषा का स्वर्ण युग आ पायेगा . वैसे बुद्धिमत्ता में तो पूरे विश्व में लोग हिन्दुस्तानियों / भारतवासियों का लोहा मानतें ही हैं फिर यहाँ की ” हिन्दी भाषा ” की भी ऐसी साख / पहचान बन जाएगी.
आओ हम सब मिल कर एक जुट हो ” हिन्दी भाषा ” को सम्मान दिलाएं – जैसे ( अन्ना ) ने कर दिखाया .नहीं तो…डर. . है कि..”इतनी सहज – सरल प्यारी हिन्दी भाषा – कहीं गुम होते प्यारे -प्यारे पशु-पक्षियों की( कई) प्रजातियों कि तरह यह भी न गुम हो जाये .”
अतः हम सभी सच्चे हिन्दुस्तानी तभी है – ज़ब हम गाकर नहीं अपने कर्मो से सिद्ध करें कि -” हमारी राजभाषा हिन्दी हैं ” और ” हिन्दी है हम वतन है ,हिन्दोस्तान हमारा “. हम अपने देश और उसकी भाषा से प्यार करें.. सम्मान करे.
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मीनाक्षी श्रीवास्तव

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