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मन की उड़ान ….

KALAM KA KAMAL
KALAM KA KAMAL
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सिर्फ़ वही एक सच्चा साथी है…….
सच दुनिया के सारे रिश्ते झूठे होते हैं; हम यह जानते हुए भी क्यों अनजान बने रहतें हैं ?
और अनजान रहते हुए, हर रिश्तों को अपना सच्चा रिश्तेदार मान उससे प्रेम करने लगतें हैं .
और हम जिसे जितना अधिक प्यार करतें हैं ;वह हमें उतना ही दुःख देता है.फिर भी…

जन्म लेते ही हमारे चारों ओर अनेंक रिश्तेदार द्रष्टव्य होतें हैं ;हमारे बढनें के साथ-साथ रिश्ते भी बनते और बढ़ते रहतें हैं .अक्सर ऐसा देखा जाता है कि हमारे पारिवारिक एवं सामाजिक रिश्ते सभी एक मतलब से बनतें एवं बिगड़तें हैं , जो बिना स्वार्थ के दूर तक साथ दे सके ; ऐसा आश्चर्य शायद कभी किसी के साथ हो ..और जिसको ऐसा कोई मिला भी तो वह उसकी क़द्र नहीं करता , क्यों??… क्योंकि हम नासमझ बनें रहतें हैं ,बार-बार कि ठोकरों के बाद भी हम ये बात नहीं समझतें कि” जो साथी हमारी रग-रग में समाया ; हमारी सांसो में बसा होता है और उसी को हम हर पल भूलते रहतें हैं; जो हमें नित्य बढ़-चढ़कर प्यार-दुलार करता रहा , हाँ, ….
कभी..कभी ..तो अत्यंत क्लांत तथा उदास मन जब अश्रु बहा-बहा कर जब असहज अवस्था में हुआ तो जैसे भीतर से उसनें प्यार से पुकारा और अविरल बहतें अश्रुओं को पोंछा ,चूमा …मानो सरपर हाँथ फेरते हुए कुछ ऐसा कहा- जिससे कि अशांत एवं दुखी मन को एक रहत मिली.
ऐसा कभी न कभी शायद सभी के साथ होता है पर..हमसब नादाँ बच्चें नादाँ ही बने रहतें हैं , काश! हम ऐसी अलौकिक ज्ञान कि ज्योति को अपने अतस में उजागर कर जीवन सुखद बना सकें ! सही अर्थों में अपनें सच्चे साथी को पहचान सकें..जो सदा हमारा हाँथ पकड़े रहता है.

मीनाक्षी श्रीवास्तव

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